मुंडा शासन व्यवस्था JPSC

🌹RENESHA IAS🌹

🌹 मुंडा शासन व्यवस्था 🌹

          By.... रवि कुमार 



JPSC SECOND PAPER

TOPIC 1

 पहली बात जो आपको यह ध्यान रखना है कि सिलेबस में
सिर्फ मुंडा शासन व्यवस्था के बारे में पढ़ना है न  कि मुंडा जनजाति के बारे में...... अधिकांश युटुब चैनल में जो वीडियो आपको मिलेंगे... उसमें प्रशासन व्यवस्था के बारे में कम बताई जाती है और मुंडा जनजाति के बारे में अधिक.... मुंडा जनजाति के बारे में हम अलग से अध्ययन करेंगे.

... माना जाता है कि मुंडा का आगमन झारखंड के छोटानागपुर क्षेत्र में रिसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ. रिसा मुंडा के साथ करीब में 21000 मुंडा थे. जब इन का आगमन यहां हुआ तो यह पूरा क्षेत्र जंगली था. मुंडाओं को बसने के लिए और खेती करने के लिए खाली जमीन की जरूरत थी. इसके लिए स्वाभाविक था कि जंगल इस सफाई जितनी जल्दी हो सके, संपन्न करना.

.... मुंडाओ के कुछ समूहों के द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में जंगल सफाई का कार्य शुरू हुआ. यह सभी क्षेत्र खूंटकट्टी कहलाए. क्योंकि मुंडा परिवार या मुंडा समूह को खुद की संज्ञा दी जाती थी.

......  धीरे-धीरे कई खूंटकट्टी क्षेत्र आपस में मिलकर हातु के रूप में विकसित हुए.  हातु का प्रमुख हातु मुंडा होता था. जब कुछ हातु में मिश्रित हुए तो पट्टी का निर्माण हुआ. पट्टी का प्रमुख मानकी होता होता था.

..... 5 से 21 गांव मिलकर एक बड़े प्रशासनिक इकाई का निर्माण हुआ जिसे पड़हा कहा गया....  पड़हा का प्रमुख पड़हा राजा होता था.

🌹 त्रिस्तरीय मुंडा शासन व्यवस्था

🌹 हातु     हातु मुंडा

🌹 पट्टी      मानकी

🌹 पड़हा    पड़हा राजा 
   
          हातू मुंडा या मानकी या पड़हा राजा का जीवन सरल और आम जनता की तरह था. यह घास फूस खपरैल के घर में रहा करते थे.

        अखरा इनका गांव के बीचो बीच एक ऐसा खुला क्षेत्र था जहां विविध प्रकार के सामाजिक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन सभी लोग मिलजुलकर करते थे.

.✍️ मुंडा प्रशासन के अलग-अलग स्तरों पर कई अन्य अधिकारियों की भी व्यवस्था थी जो अलग-अलग उद्देश्य से पूर्ण करते थे.

✍️ इसमें एक अधिकारी पाहन थे...  इनका मुख्य कार्य धार्मिक था परंतु हातू मुंडा मानकी या पड़हा  राज सभा में भी इनकी उपस्थिति रहती थी.

✍️ इनके अन्य सहायकों में दीवान, कोतवाल, दरोगा,पांडे, लाल कर्ता इत्यादि शामिल थे.

✍️ उपरोक्त अधिकारी सामान्य रूप से वंशानुगत होते थे.

✍️ मुंडा प्रशासन में किसी भी स्तर पर राजा या अधिकारी टैक्स नहीं लेते थे.

✍️ इससे स्पष्ट होता है कि यह सहकारी व्यवस्था में विश्वास रखते थे.

 🌹 मुंडा शासन व्यवस्था पर
             मुगलों और अंग्रेजों का प्रभाव🌹

✍️ मुगलों के शासन के दौरान भी इनके शासन व्यवस्था में मुगलों के द्वारा विशेष क्षेत्र नहीं किया गया. परंतु अंग्रेजों के आगमन में और अंग्रेजी भू राजस्व कानूनों सहित अन्य प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था लागू होने के कारण इनकी व्यवस्था तहस-नहस हो गई.

🌹 स्वतंत्रता के बाद 🌹

 स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक पंचायती व्यवस्था लागू नहीं हुई. इस कारण अंग्रेजी काल की तरह प्रशासनिक अधिकारियों का ग्रामीण और जनजाति क्षेत्रों के प्रशासन पर नियंत्रण बना रहा. लेकिन इसका अर्थ यह नहीं था कि मुंडा शासन व्यवस्था कद्दू समाप्त हो गया था. इनका अस्तित्व पहले की तरह ही था लेकिन एक तरहै से इन्हे सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं थी. लेकिन सरकार इनके शासन व्यवस्था मे हस्तक्षेप भी नहीं करती थी.

 पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद परंपरागत मुंडा प्रशासनिक व्यवस्था और आधुनिक पंचायती राज व्यवस्था में टकराव की आशंका बढ़ी. लेकिन मुंडा क्षेत्रों में सरकार ने दूरदर्शिता के साथ काम करते हुए आधुनिक पंचायती राज व्यवस्था के साथ-साथ मुंडा प्रशासन को भी  मान्यता प्रदान कर दी.

✍️ धार्मिक सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधी अधिकार मुंडा प्रशासन व्यवस्था के परंपरागत स्वरूप के पास बनाए रखा गया है.

✍️ मुंडा और मानकी के लिए सरकार की ओर से मानदेय की व्यवस्था भी की गई है.

✍️ परंपरागत मुंडा शासन व्यवस्था में महिलाओं को स्थान नहीं था. आधुनिक पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण की व्यवस्था कर दी गई है.

... इस प्रकार प्राचीन मुंडा प्रशासनिक व्यवस्था हमेशा के लिए संरक्षित हो चुका है.

✍️
🌹रवि कुमार 🌹
        RENESHA IAS

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