Indian geography ...north indian plane
🌹RENESHA IAS🌹
BY..... ✍️ RAVI KUMAR...
(IAS JPSC UPPSC INTERVIEW FACED)
INDIAN GEOGRAPHY
RENESHA IAS
🌹 उत्तर भारत के मैदान 🌹
पहले उत्तर भारतीय मैदानों की उत्पत्ति की बात की जाए. भूगर्भिक दृष्टिकोण से मैंने पहले ही बताया था कि इंडो-ऑस्ट्रेलिया प्लेट जब उत्तर पूर्व की ओर आगे बढ़ा और युरेशियाई प्लेट से टकराया तो इन दोनों प्लेटों के बीच अवस्थित टेथिस सागर के अवसादो से हिमालय के तीनों समांतर श्रेणियों का निर्माण हुआ.
हिमालय के तीनों श्रेणियों के निर्माण होने के बाद भी टेथिस सागर का अस्तित्व शिवालिक के दक्षिण में बचा हुआ था. प्रायद्वीपीय भारत की विभिन्न नदियां टेथिस सागर में अपने अवसादो के माध्यम से निरंतर निक्षेपण कर रही थीं. इसी निक्षेपण के फलस्वरुप विशाल उत्तर भारतीय मैदान का निर्माण हुआ.निर्माण की प्रक्रिया आज भी जारी है.
@renesha.ias
उत्तर भारत का मैदान मुख्य रूप से तीन नदियों और उनकी सहायक नदियों द्वारा जमा किए गए जलोढ़ (alluvium) से निर्मित है. के तीन नदियां हैं.......
A) सिंधु नदी प्रणाली- झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलज.. सिंधु नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं.
(सूत्र -JCRVS उत्तर से दक्षिण की ओर सिंधु नदी की सहायक नदियों का क्रम)
B) गंगा नदी प्रणाली- गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियों में यमुना और सोन नदी दक्षिण से जबकि रामगंगा, गंडक, घाघरा, महानंदा इत्यादि नदियां उत्तर की ओर से शामिल है.
C) ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली- इसकी प्रमुख सहायक नदियां दिहांग, देवांग सुवर्णसीरी इत्यादि हैं.
उत्तर भारतीय मैदान की की कुल क्षेत्रफल के अगर बात की जाए तो, यह लगभग 7 लाख स्क्वायर किलोमीटर में विस्तारित है. इस मैदान की औसत चौड़ाई 280 किलोमीटर से लेकर 320 किलोमीटर तक है. इसकी चौड़ाई कहीं-कहीं अधिक हो गई है तो कहीं अत्यधिक संकरी हो गई है. उदाहरण स्वरूप उत्तरी पश्चिम बंगाल में फरक्का बांध के समीप इसकी चौड़ाई बहुत कम है.
उत्तरी मैदान का क्षेत्र भारत के सघन जनसंख्या के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यहां उपलब्ध है...
A) अनुकूल जलवायु
B) उपजाऊ भूमि
C) जल के पर्याप्त व्यवस्था
D) समतल भूमि होने के कारण यातायात के साधनों पर्याप्त विकास
विभिन्न नदियां अपने उदगम के बाद जब मैदानी क्षेत्र में पहुंचती हैं, तो उनकी गति में कमी आ जाती है. इसके कारण नदियां अपने साथ जो भी जलोढ़ (soil, sand, rocks etc) लाती हैं, उन्हें हुए अपने तटों के आसपास जमा करने लगती हैं. इसके तीन परिणाम होते हैं
A) नदियों के आसपास प्राकृतिक तटबंधों का निर्माण होता है.
B) नदियों में बाढ़ आने पर दूर-दूर तक नदियों का जल चल जाता है और नदियों के जल के साथ जलोढ़ भी फेल जाते हैं. नदियों के में क्रियाओं के द्वारा विशाल उत्तर भारतीय मैदानों का निर्माण हुआ है.
C) कभी-कभी ऐसा भी होता है कभी-कभी नदियों के बीच ही जलोढ़ का निक्षेपण (deposition ) हो जाता है, और इस प्रक्रिया में नदीय द्वीपों (reverine islands) का निर्माण भी होता है.
इसी प्रक्रिया के द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी के बीच असम में मजूली द्वीप का निर्माण हुआ है. यह दीप विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप है, जहां मानव जनसंख्या का निवास है.
@renesha.ias
उत्तर भारतीय मैदान का विभाजन
A) पंजाब हरियाणा राजस्थान का मैदान या सिंधु नदी का मैदान...
इस मैदान का निर्माण सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के साथ-साथ घग्घर सहित अन्य छोटी छोटी नदियों के जलोढ़ों के माध्यम से हुआ है. पंजाब हरियाणा राजस्थान के मैदान का 75% भाग पाकिस्तान में अवस्थित है और 25% भाग भारत में अवस्थित है. पंजाब का अर्थ पांच नदियों की भूमि होती है.
सिंधु अपने 5 सहायक नदियों के साथ कई दोआब का निर्माण करती है, जो कृषि की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है. इन दोआबों का अलग-अलग नाम दिया गया है. ये नाम इन नदियों के नाम के पहले अक्षरों को मिलाकर बनाए गए हैं. इन दोआबों के नाम आपके परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है.
(दोआब दो नदियों के बीच की भूमि को कहा जाता है)
सतलुज और व्यास के बीच बिस्त दोआब
व्यास और रावी के बीच बारी दोआब
रावी और चेनाव के बीच रचना दोआब
चेनाव और झेलम के बीच झीच या चाज दोआब
झेलम और सिंधु के बीच सिंध सागर दोआब
@renesha.ias
B) गंगा का मैदान
यह मैदान उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है. इसका निर्माण गंगा और यमुना की सहायक नदियों के द्वारा हुआ है.
इसमें रोहिलखंड के मैदान, अवध के मैदान, मिथिला के मैदान इत्यादि शामिल किए जाते हैं.
C) ब्रह्मपुत्र का मैदान
इसका विस्तार प्रमुख रूप से असम राज्य में है.
उत्तर भारतीय मैदानों के संदर्भ में अक्सर यह समझ लिया जाता है कि यह पूर्ण रूप से समतल है. परंतु सूक्ष्मता से अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि इस मैदान मैं भी कई तरह के उच्चावच पाए जाते हैं.उत्तरी भारतीय मैदानों को प्रादेशिक स्तर पर कई भागों में बांटा जा सकता है......
@ भावर
यह मैदानी क्षेत्र हिमालय से लगभग सलंग्न (सटा) है. इसकी चौड़ाई 8 से 16 किलोमीटर तक है. यहां नदियां प्रकट नहीं होती हैं.
@ तराई
भावर के समांतर तराई का विस्तार है. इसकी चौड़ाई भी लगभग 8 से 16 किलोमीटर के बीच है.यह दलदली क्षेत्र है. यह जंगलों से आच्छादित और जंगली जीवों से परिपूर्ण क्षेत्र है. जो नदियां भंवर में नहीं दिखती तराई क्षेत्र में प्रकट हो जाती हैं.
तराई क्षेत्र में जंगलों की कटाई कर पाकिस्तान से आए हुए विस्थापितों को भी बसाया गया है. तराई के कई क्षेत्र गेहूं की खेती के लिए प्रसिद्ध है.
@ खादर
खादर ऐसे क्षेत्र हैं जहां तक नदियों के बाढ़ का पानी प्रत्येक वर्ष पहुंचता है. ये क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ होते हैं.(younger or newer alluvium )
@ बांगर
बांगर ऐसे क्षेत्रों को कहा जाता है, जहां नदियों के बाढ़ के पानी वर्तमान में नहीं पहुंच पाते. लेकिन प्राचीन समय में कभी नदियों के पानी पहुंचा करते थे. कंकड़ की अधिकता होने के साथ इन्हें कई क्षेत्रों में कांकर भी कहा जाता है. ये अधिक उपजाऊ नहीं होते.
(Continue...........)
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