CNT 1908/parts and articles
🌹RENESHA IAS🌹
BY..... ✍️ RAVI KUMAR...
(IAS JPSC UPPSC INTERVIEW FACED)
छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट 1908
जेपीएससी (झारखण्ड) के सिविल सेवा परीक्षा में छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट 1908 से 5 प्रश्न आएंगे यानि कि कुल 10 मार्क्स के प्रश्न आने वाले हैं
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इस प्रकार आप छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के महत्व को समझ सकते हैं.... यूट्यूब पर मैंने छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के क्लासेस को लिया है आप उसे देख सकते हैं...
🌹 छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट की पृष्ठभुमि 🌹
1757 से पहले मुगलों का झारखंड पर सामान्य नियंत्रण था. परंतु मुगलों के द्वारा यहां के जनजातियों के लगान व्यवस्था शासन व्यवस्था में कोई विशेष हस्तक्षेप नहीं किया गया. इस कारण इतिहास गवाह है कि झारखंड क्षेत्र के आदिवासियों के द्वारा मुगलों के विरुद्ध किसी भी तरह का विद्रोह नहीं किया गया था....
मुगलों के द्वारा 1757 में बिहार बंगाल और उड़ीसा के दीवानी के अधिकार अंग्रेजों को प्रदान कर दिए गए . 1757 के बाद जब अंग्रेजों के द्वारा इस क्षेत्र पर नियंत्रण किया गया और अधिक से अधिक धन प्राप्त करने की इच्छा से इस क्षेत्र के भूमि संबंधी परंपराओं और कानून में अंग्रेजों ने कई तरह के परिवर्तन करने की सफल प्रयास किए..... इसका प्रभाव इस क्षेत्र के आदिवासी सामुदायिक पर अत्यंत नकारात्मक रहा. फिर भी कहीं ना कहीं स्थिति नियंत्रण में रही........
जब लॉर्ड कार्नवालिस भारत के गवर्नर जनरल बने उन्होंने अधिक से अधिक लगान वसूली के लिए
1) बिहार,बंगाल और उड़ीसा में 1793 में स्थाई बंदोबस्त को लागू किया गया.
2) झारखंड उस समय बिहार का हिस्सा था अतः झारखंड में भी स्थाई बंदोबस्त लागू हो गया.
3) इस बंदोबस्त में जमींदारों को भूस्वामी माना गया.
जमींदारों का दायित्व था कि वह किसानों से लगान की वसूली करेगा और सरकार को प्रदान करें.
जब तक स्थानीय जमींदार रहे उन्होंने ऐसा संभव प्रयास किया कि आदिवासियों की परंपरागत व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं करा जाए. लेकिन 1820 के बाद परिस्थितियां बदली अंग्रेजी सरकार ने जमींदारों को सूर्यास्त कानून का कड़ाई से पालन करने को कहा. जो जमींदार लगान वसूल कर सरकार को देने में असफल रहते थे उनकी जिम्मेदारी नीलाम कर किसी और जमींदार को दे दिए गए. झारखंड क्षेत्र में इस कारण स्थानीय जमींदारों की जगह बिहार उड़ीसा और बंगाल के जमींदारों के अधिकता हो गई. इन्हें आदिवासियों के नियम परंपराओं की कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने कड़ाई से लगाना बसूलना शुरू कर दिया.... आदिवासी समाज विद्रोही बन बैठा.
1831-32 का महान कोल विद्रोह हुआ. इसमें हजारों की संख्या में जमींदारों और बाहरी लोगों की हत्या कर दी गई. हलांकि निर्ममता पूर्वक कोल विद्रोह को दबा दिया गया परंतु अंग्रेजों का भी यह प्रतीत हुआ कि आदिवासियों के साथ इस तरह से बल पूर्वक व्यवहार करना शायद उचित नहीं है.
इसके कारण अंग्रेजी सरकार के द्वारा मध्य मार्ग अपनाया गया. 1862 में छोटानागपुर क्षेत्र में भूमि सर्वेक्षण कर मंझीयस भूमि और भुईहर भूमि में स्पष्ट रूप से अंतर करने का प्रयास किया गया.... इसके लिए राखल दास हलदर को नियुक्त किया गया था.
अंततः 1869 में छोटानागपुर के काश्तकारों के लिए पहला अधिनियम बना..... इसमें भूईहर जमीन के पहचान कर ली गई थी....
इसके बाद 1885 में बंगाल काश्तकारी अधिनियम बना. परंतु यह अधिनियम अच्छी तरह से झारखंड क्षेत्र में लागू नहीं हो पाया....
अंकिता 1902 में छोटानागपुर क्षेत्र में पहला सर्वेक्षण शुरू हुआ इस सर्वेक्षण को ट्रैवर्स सर्वेक्षण कहा गया... इसके बाद जो दूसरा सर्वेक्षण हुआ उससे कास्टड्रल सर्वेक्षण के संज्ञा दी गई..... इस प्रकार 1903 में छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट का प्रतिरूप तैयार हो चुका था.... इस एक्ट के ब्लू प्रिंट तैयार करने का श्रेय फादर हाफमैन को जाता है.... फादर हॉफमैन वही व्यक्ति थे जिन्हें बिरसा मुंडा के द्वारा तीर मारकर घायल करने की कोशिश की गई थी लेकिन वह बाल-बाल बच गए थे.
✍️ छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के कुछ प्रमुख तथ्य
1) छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट गवर्नर जनरल लॉर्ड मिंटो की अनुमति के बाद भारतीय परिषद अधिनियम 1892 के अध्याय 5 में शामिल हुआ...
2) यह अधिनियम झारखंड में छोटानागपुर क्षेत्र में 11 नवंबर 1908 से लागू हुआ...
3) इस अधिनियम में कुल 19 अध्याय 271 धाराएं हैँ.
4) 19 प्रमुख अध्यायों के अलावे दो अन्य उप अध्याय बाद में जोड़े गए.....
9A और 16A
5) छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट की धारा 44 को निरस्त कर दिया गया.
🌹 छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के विस्तृत अध्ययन से पूर्व सबसे पहले इसके अलग-अलग अध्यायों और उन अध्यायों से संबंधित अलग-अलग धाराओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें और उसे याद कर ले 🌹
1) अध्याय 1
✍️ प्रारंभिकी
✍️ धारा 1-3
2) अध्याय 2
✍️ काश्तकारों के प्रकार
✍️ धारा 4-8
3) अध्याय 3
✍️ भूधारक
✍️ धारा 9 से 15
4) अध्याय 4
✍️ अधिभोगी रैयत
✍️ धारा 16 से 36
5) अध्याय 5
✍️ खुटकट्टी अधिकार प्राप्त रैयत
✍️ धारा 37
6) अध्याय 6
✍️ अनाधिभोगी रैयत
✍️ धारा 38 से 42
7) अध्याय 7
✍️ अध्याय 4 और अध्याय 5 के प्रावधानों से कुछ मामलों में छूट
✍️ धारा 43
8) अध्याय 8
✍️ भूधृति और जोतों को पट्टे पर देना या अंतरण करना
✍️ धारा 44 - 51
9) अध्याय 9
✍️ लगान के संदर्भ में विशेष उपबंध
✍️ धारा 52 से 63
10) अध्याय 9 A
✍️ बंजर भूमि की बंदोबस्ती
✍️ धारा 63 A और 63 B
11) अध्याय 10
✍️ कोरकर भूमि.... भूस्वामी और काश्तकार के लिए उपबंध
✍️ धारा 64 से 75
12) अध्याय 11
✍️ रूढ़ियां संविदा और लगान
✍️ धारा 76 से 79 B
13) अध्याय 12
✍️ अभिलेख.... और लगान
✍️ धारा 80 से 100A
14) अध्याय 13
✍️ अभिलेख...शर्त और रूपांतरण
✍️ धारा 101 से 117
15) अध्याय 14
✍️ अभिलेख.....भूस्वामीओ के विशेषाधिकार
✍️ धारा 118- 126
16) अध्याय 15..
✍️ अभिलेख....ग्राम प्रमुख की कुछ बाध्यताएं
✍️ 126-134
17) अध्याय 16
✍️ उपायुक्त की न्यायिक प्रक्रिया और अपील
✍️ धारा 135 - 229
18) अध्याय 16 A
✍️ लोक मांग वसूली
✍️ धारा 229 A
18) अध्याय 17
✍️ परिसीमा
✍️ धारा 230 - 238
19) अध्याय 18
✍️ मुंडारी खूंटकट्टी दार के संदर्भ में विशेष उपबंध
✍️ धारा 239 - 256
20) अध्याय 19
✍️ अनुपूरक उपबंध
✍️ धारा 257 से 271
17)
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