वैदिक काल... वैदिक साहित्य FOR IAS PCS
🌹RENESHA IAS🌹
🌹🌹🌹 वैदिक काल 🌹🌹🌹
🌹 वैदिक साहित्य 🌹
वैदिक साहित्य के अंतर्गत वेद,ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद,सूत्र, उपवेद, पुराण,वेदांग इत्यादि शामिल किया जाता है
1) वेद....
A) 🌹 ऋग वेद 🌹
✍️ ऋग्वेद में कुल 10 मंडल, 1028 सूक्त और 10580 ऋचाए हैं.
✍️ इन 10 मंडलों में सबसे पुराने मंडल 2-7 तक है.
मण्डल सूक्त संख्या महर्षियों के नाम
1. 191 15 वर्गों में विभाजित...
2. 78 गुप्तसमद एवं उनके वंश
3. 62 विश्वामित्र एवं उनके वंशज
4. 58 वामदेव एवं उनके वंशज
5. 87 अत्रि एवं उनके वंशज
6. 75 भरद्वाज एवं उनके वंशज
7. 104 वशिष्ठ एवं उनके वंशज
8. 186 घोसा,अपाला,पाली और भिरूचि
9. 114 सोम को समर्पित
10. 114 श्रद्धा, कामायनी,इन्द्राणी ( पुरुषसूक्त का उल्लेख)
B) 🌹 सामवेद 🌹
✍️ इसमें कुल 1810 छंद है... परंतु 75 को छोड़कर सफेद ऋग्वेद से लिए गए हैं.
✍️ भारतीय संगीत इतिहास का स्त्रोत
✍️ इसके तीन पाठ हैं
🌹 कैथुम संहिता /सणायनीय संहिता/ जैमिनीय संहिता
C) 🌹 यजुर्वेद 🌹
✍️ यज्ञ से संबंधित नियमों की जानकारी मिलते हैं.
✍️ पहली बार राजसूय और बाजपेय जैसे यज्ञ का उल्लेख वेद में है.
✍️ यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं...
🌹 कृष्ण यजुर्वेद.... के अंतर्गत मैत्रायणी संहिता, कठ संहिता, कपिष्ठल कठ संहिता और तैतरिय संहिता शामिल है.
🌹 शुक्ल यजुर्वेद..... इसके अंतर्गत मध्यानंदिन संहिता और और कण्व संहिता शामिल है.
D) 🌹 अथर्ववेद 🌹
✍️ इस वेद में कुल 20 मंडल हैं और 731 मंत्र हैं.
✍️ इस वेद में तंत्र मंत्र का भी संकलन है जो भूत प्रेत से रक्षा करता है.
✍️ अर्थववेद में भारतीय औषधि विज्ञान के भी जानकारी मिलते हैं.
अर्थववेद के 2 पाठ हैं
🌹 शौनकीय संहिता
🌹 पैपलाद संहिता
2) ब्राह्मण ग्रंथ
A) ऋग्वेद के ब्राह्मण
🌹 ऐतरेय ब्राह्मण.... महिदास एतरेय के द्वारा की गई.
🌹 कौशताकि ब्राह्मण.... इसका दूसरा नाम शंखायन ब्राह्मण है.
B) सामवेद के ब्राह्मण
🌹 पंचविश ब्राह्मण.... यह प्राचीनतम ब्राह्मण है.
🌹षडविश ब्राह्मण
🌹 जेमिनीय ब्राह्मण... इस तलवकार ब्राह्मण भी कहते हैं.
और
🌹 छांदोग्य ब्राह्मण
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B) यजुर्वेद के ब्राह्मण
✍️ कृष्ण यजुर्वेद का ब्राह्मण तैतिरीय ब्राह्मण है.
✍️ शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मण शतपथ ब्राह्मण है.
🌹 शतपथ ब्राह्मण सबसे
महत्वपूर्ण ब्राह्मण है🌹
✍️ अथर्ववेद का का एकमात्र ब्राह्मण गोपथ ब्राह्मण है..... जो सबसे अंतिम ब्राह्मण है.
3) अरण्यक
✍️ अरण्यक के अंतर्गत रहस्य पूर्ण ग्रंथों को शामिल किया जाता है जो ऋषि-मुनियों के द्वारा जंगल में रचित किए गए.
✍️ सामवेद अथर्ववेद और शुक्ल यजुर्वेद के कोई भी आरण्यक नहीं है.
✍️ ऋग्वेद के दो अरण्यक हैं.... कौशितकी और एतरेय
4) उपनिषद
✍️ उपनिषदों की कुल संख्या 300 से अधिक माने जाती है लेकिन 13 उपनिषद ही महत्वपूर्ण है
✍️ ऋग्वेद के कौशितकी और ऐतरेय उपनिषद हैं.
✍️ छांदोग्य उपनिषद सामवेद से संबंधित है.
✍️ तेतरीय, कठ, श्वेताश्वर और मैत्रायणी उपनिषद कृष्ण यजुर्वेद से संबंधित है.
✍️ वृहदारण्यक उपनिषद शुक्ल यजुर्वेद से संबंधित है.... पहली बार पुनर्जन्म की अवधारणा प्रस्तुत की गई है.
✍️ मुंडक उपनिषद अर्थववेद से संबंधित है.... इससे सत्यमेव जयते शब्द लिए गए हैं.
✍️ वृहदरण्यक उपनिषद सर्वाधिक प्राचीन है.
✍️ मैत्रायणी उपनिषद में पहली बार चतुरआश्रम सिद्धांत और त्रिदेव का विवरण है.
✍️ जवालो उपनिषद में तीन आश्रम का विवरण है.
5) सूत्र.. साहित्य
वेदों को समझने के लिए महत्वपूर्ण साधन है
A) कल्पसूत्र.... ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण
B) श्रोत सूत्र.... यज्ञ से संबंधित
C) शुल्व सूत्र...... प्राचीनतम ज्यामिति के साक्ष्य ... यज्ञ स्थलों के माप से संबंधित नियम
D) धर्मसूत्र.... भारत के प्राचीनतम विधि और कानून
E) गृहसूत्र..... मानव जीवन से संबंधित अनुष्ठानों के चर्चा
6) उपवेद
✍️ ऋग्वेद.... आयुर्वेद
✍️ यजुर्वेद.....धनुर्वेद
✍️ सामवेद.......गंधर्व वेद
✍️ अथर्ववेद.....शिल्प वेद
7) अलग-अलग को पढ़ने वाले पुजारी
✍️ ऋग्वेद होतृ
✍️ सामवेद उदगात्री
✍️ यजुर्वेद अध्यर्वयु
✍️ अथर्ववेद रित्वीध
8) 🌹वेदांग🌹
वेदांग अर्थ संकेतक
शिक्षा स्वर ज्ञान नाक
छंद छंद साज पैर
व्याकरण व्याकरण मुक्त
निरुक्त शब्द व्यूतपति शास्त्र कान
ज्योतिष खगोल विज्ञान नेत्र
कल्प यज्ञ विज्ञान हाथ
✍️ शिक्षा अर्थशास्त्र का प्रयोग वेद को पढ़ने हेतु
✍️ व्याकरण और निरुक्त का प्रयोग वेद को समझने हेतु
✍️ ज्योतिष और कल्प का प्रयोग यज्ञ करने हेतु होता है...
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BY..... ✍️ RAVI KUMAR..
.
(IAS JPSC UPPSC INTERVIEW FACED)
🌹🌹🌹 वैदिक काल 🌹🌹🌹
🌹 FOR IAS BPSC JPSC SSC PRELIMS EXAM 🌹
ताम्र पाषाण काल का अस्तित्व ना सिर्फ सिंधु घाटी सभ्यता के पूर्व रहा बल्कि सिंधु घाटी सभ्यता के बाद भी रहा......
हम लोग ताम्र पाषाण काल का अध्ययन कर चुके हैं..... इसलिए आप वैदिक काल का अध्ययन किया जाएगा....
वैदिक काल के बारे में जानकारी मुख्य रूप से वेदों से प्राप्त होती है इसलिए सब वैदिक काल कहा जाता है.....चुंकि वैदिक काल आर्यों द्वारा प्रवर्तित था इसलिए इस काल को आदित्य पिता भी कहा जाता है.
वैदिक काल को कुल दो भागों में बांटा जाता है..
1) ऋग वैदिक काल( 1500 BC-1000BC) ... इस काल में कृषि की जगह पशुपालन को अधिक महत्व प्राप्त था.
2) उत्तर वैदिक काल (1000BC-600BC).... इस काल में कृषि को अधिक महत्व प्राप्त हुआ पशुपालन को दूसरे स्थान पर रखा गया.
वैदिक काल के अंतर्गत हम लोग निम्न तत्वों का अध्ययन करते हैं...
1) वैदिक साहित्य
2) ऋगवैदिक काल अलग-अलग स्थितियां
3) उत्तर वैदिक काल की अलग-अलग स्थितियां
ताम्र पाषाण काल का अस्तित्व ना सिर्फ सिंधु घाटी सभ्यता के पूर्व रहा बल्कि सिंधु घाटी सभ्यता के बाद भी रहा......
हम लोग ताम्र पाषाण काल का अध्ययन कर चुके हैं..... इसलिए आप वैदिक काल का अध्ययन किया जाएगा....
वैदिक काल के बारे में जानकारी मुख्य रूप से वेदों से प्राप्त होती है इसलिए सब वैदिक काल कहा जाता है.....चुंकि वैदिक काल आर्यों द्वारा प्रवर्तित था इसलिए इस काल को आदित्य पिता भी कहा जाता है.
वैदिक काल को कुल दो भागों में बांटा जाता है..
1) ऋग वैदिक काल( 1500 BC-1000BC) ... इस काल में कृषि की जगह पशुपालन को अधिक महत्व प्राप्त था.
2) उत्तर वैदिक काल (1000BC-600BC).... इस काल में कृषि को अधिक महत्व प्राप्त हुआ पशुपालन को दूसरे स्थान पर रखा गया.
वैदिक काल के अंतर्गत हम लोग निम्न तत्वों का अध्ययन करते हैं...
1) वैदिक साहित्य
2) ऋगवैदिक काल अलग-अलग स्थितियां
3) उत्तर वैदिक काल की अलग-अलग स्थितियां
🌹 वैदिक साहित्य 🌹
वैदिक साहित्य के अंतर्गत वेद,ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद,सूत्र, उपवेद, पुराण,वेदांग इत्यादि शामिल किया जाता है
1) वेद....
A) 🌹 ऋग वेद 🌹
✍️ ऋग्वेद में कुल 10 मंडल, 1028 सूक्त और 10580 ऋचाए हैं.
✍️ इन 10 मंडलों में सबसे पुराने मंडल 2-7 तक है.
मण्डल सूक्त संख्या महर्षियों के नाम
1. 191 15 वर्गों में विभाजित...
2. 78 गुप्तसमद एवं उनके वंश
3. 62 विश्वामित्र एवं उनके वंशज
4. 58 वामदेव एवं उनके वंशज
5. 87 अत्रि एवं उनके वंशज
6. 75 भरद्वाज एवं उनके वंशज
7. 104 वशिष्ठ एवं उनके वंशज
8. 186 घोसा,अपाला,पाली और भिरूचि
9. 114 सोम को समर्पित
10. 114 श्रद्धा, कामायनी,इन्द्राणी ( पुरुषसूक्त का उल्लेख)
B) 🌹 सामवेद 🌹
✍️ इसमें कुल 1810 छंद है... परंतु 75 को छोड़कर सफेद ऋग्वेद से लिए गए हैं.
✍️ भारतीय संगीत इतिहास का स्त्रोत
✍️ इसके तीन पाठ हैं
🌹 कैथुम संहिता /सणायनीय संहिता/ जैमिनीय संहिता
C) 🌹 यजुर्वेद 🌹
✍️ यज्ञ से संबंधित नियमों की जानकारी मिलते हैं.
✍️ पहली बार राजसूय और बाजपेय जैसे यज्ञ का उल्लेख वेद में है.
✍️ यजुर्वेद की दो शाखाएं हैं...
🌹 कृष्ण यजुर्वेद.... के अंतर्गत मैत्रायणी संहिता, कठ संहिता, कपिष्ठल कठ संहिता और तैतरिय संहिता शामिल है.
🌹 शुक्ल यजुर्वेद..... इसके अंतर्गत मध्यानंदिन संहिता और और कण्व संहिता शामिल है.
D) 🌹 अथर्ववेद 🌹
✍️ इस वेद में कुल 20 मंडल हैं और 731 मंत्र हैं.
✍️ इस वेद में तंत्र मंत्र का भी संकलन है जो भूत प्रेत से रक्षा करता है.
✍️ अर्थववेद में भारतीय औषधि विज्ञान के भी जानकारी मिलते हैं.
अर्थववेद के 2 पाठ हैं
🌹 शौनकीय संहिता
🌹 पैपलाद संहिता
2) ब्राह्मण ग्रंथ
A) ऋग्वेद के ब्राह्मण
🌹 ऐतरेय ब्राह्मण.... महिदास एतरेय के द्वारा की गई.
🌹 कौशताकि ब्राह्मण.... इसका दूसरा नाम शंखायन ब्राह्मण है.
B) सामवेद के ब्राह्मण
🌹 पंचविश ब्राह्मण.... यह प्राचीनतम ब्राह्मण है.
🌹षडविश ब्राह्मण
🌹 जेमिनीय ब्राह्मण... इस तलवकार ब्राह्मण भी कहते हैं.
और
🌹 छांदोग्य ब्राह्मण
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B) यजुर्वेद के ब्राह्मण
✍️ कृष्ण यजुर्वेद का ब्राह्मण तैतिरीय ब्राह्मण है.
✍️ शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मण शतपथ ब्राह्मण है.
🌹 शतपथ ब्राह्मण सबसे
महत्वपूर्ण ब्राह्मण है🌹
✍️ अथर्ववेद का का एकमात्र ब्राह्मण गोपथ ब्राह्मण है..... जो सबसे अंतिम ब्राह्मण है.
3) अरण्यक
✍️ अरण्यक के अंतर्गत रहस्य पूर्ण ग्रंथों को शामिल किया जाता है जो ऋषि-मुनियों के द्वारा जंगल में रचित किए गए.
✍️ सामवेद अथर्ववेद और शुक्ल यजुर्वेद के कोई भी आरण्यक नहीं है.
✍️ ऋग्वेद के दो अरण्यक हैं.... कौशितकी और एतरेय
4) उपनिषद
✍️ उपनिषदों की कुल संख्या 300 से अधिक माने जाती है लेकिन 13 उपनिषद ही महत्वपूर्ण है
✍️ ऋग्वेद के कौशितकी और ऐतरेय उपनिषद हैं.
✍️ छांदोग्य उपनिषद सामवेद से संबंधित है.
✍️ तेतरीय, कठ, श्वेताश्वर और मैत्रायणी उपनिषद कृष्ण यजुर्वेद से संबंधित है.
✍️ वृहदारण्यक उपनिषद शुक्ल यजुर्वेद से संबंधित है.... पहली बार पुनर्जन्म की अवधारणा प्रस्तुत की गई है.
✍️ मुंडक उपनिषद अर्थववेद से संबंधित है.... इससे सत्यमेव जयते शब्द लिए गए हैं.
✍️ वृहदरण्यक उपनिषद सर्वाधिक प्राचीन है.
✍️ मैत्रायणी उपनिषद में पहली बार चतुरआश्रम सिद्धांत और त्रिदेव का विवरण है.
✍️ जवालो उपनिषद में तीन आश्रम का विवरण है.
5) सूत्र.. साहित्य
वेदों को समझने के लिए महत्वपूर्ण साधन है
A) कल्पसूत्र.... ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण
B) श्रोत सूत्र.... यज्ञ से संबंधित
C) शुल्व सूत्र...... प्राचीनतम ज्यामिति के साक्ष्य ... यज्ञ स्थलों के माप से संबंधित नियम
D) धर्मसूत्र.... भारत के प्राचीनतम विधि और कानून
E) गृहसूत्र..... मानव जीवन से संबंधित अनुष्ठानों के चर्चा
6) उपवेद
✍️ ऋग्वेद.... आयुर्वेद
✍️ यजुर्वेद.....धनुर्वेद
✍️ सामवेद.......गंधर्व वेद
✍️ अथर्ववेद.....शिल्प वेद
7) अलग-अलग को पढ़ने वाले पुजारी
✍️ ऋग्वेद होतृ
✍️ सामवेद उदगात्री
✍️ यजुर्वेद अध्यर्वयु
✍️ अथर्ववेद रित्वीध
8) 🌹वेदांग🌹
वेदांग अर्थ संकेतक
शिक्षा स्वर ज्ञान नाक
छंद छंद साज पैर
व्याकरण व्याकरण मुक्त
निरुक्त शब्द व्यूतपति शास्त्र कान
ज्योतिष खगोल विज्ञान नेत्र
कल्प यज्ञ विज्ञान हाथ
✍️ शिक्षा अर्थशास्त्र का प्रयोग वेद को पढ़ने हेतु
✍️ व्याकरण और निरुक्त का प्रयोग वेद को समझने हेतु
✍️ ज्योतिष और कल्प का प्रयोग यज्ञ करने हेतु होता है...
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