THE HINDU EDITORIAL SYNOPSIS IN HINDI
🌹RENESHA IAS🌹
BY..... ✍️ RAVI KUMAR...
(IAS JPSC UPPSC INTERVIEW FACED)
🌹🌹रवि सर के द्वारा..... संभावित प्रश्नों के साथ 🌹🌹
✍️ जरूर पढ़ें
🌹 27/06/21 🌹
🌹 जम्मू कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की नई पहल 🌹
✍️ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर सभी राजनीतिक दलों के सभी प्रमुख नेताओं को प्रधानमंत्री श्री मोदी के द्वारा बैठक हेतु आमंत्रित किया गया था.
✍️ जाता है कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर विशेष राज्य की बहाली के बाद यह पहली बैठक थी.
✍️ लंबे समय तक जम्मू कश्मीर के प्रमुख नेताओं को नजरबंद रखा गया था.
जम्मू कश्मीर मैं जैसी परिस्थितियों वर्तमान में है.... उन परिस्थितियों में निकट भविष्य में... सर्वसहमति से किसी समाधान की उम्मीद नहीं थी.
परंतु इस बैठक के द्वारा एक आशा संचार हुआ है.
✍️ राजनीतिक नेताओं को प्रधानमंत्री के द्वारा बिना किसी शर्त के निमंत्रण दिया गया.... और इस बैठक के द्वारा
" 🌹कुछ दिन पहले ही जो निराशा का वातावरण था उसे आशा के वातावरण में बदल दिया गया.🌹"
✍️ श्री मोदी ने बैठक में कहा
🌹 एक विकसित और प्रगतिशील जम्मू-कश्मीर की दिशा में चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम🌹
बताया।
✍️ जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताते हुए उन्होंने निर्वाचन क्षेत्रों के त्वरित परिसीमन का आह्वान किया, जिसके बाद विधान सभा चुनाव हो सके।
✍️ गृह मंत्री अमित शाह ने जोर देकर कहा कि राज्य में चुने हूए सरकार की बहाली
🌹 परिसीमन 🌹
के बाद ही संभव है.
✍️ यह बैठक शांतिपूर्ण और सद्भावपूर्ण तरीके से संपन्न हुई. लगभग सभी दलों ने
1) राज्य सेवाओं में राज्य के निवासियों के अधिकार को पूर्ववत करने की मांग की और
2) इसके साथ ही भूमि पर राज्य के निवासियों के अधिकार को भी पूर्ववत करने की मांग की.
लेकिन इस मुद्दे पर भाजपा की सख्त स्थिति को देखते हुए, यह बहुत मुश्किल है।.... इसका कारण यह भी है कि देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस तरीके का विशेषाधिकार कहीं नहीं है.
🌹🌹🌹
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार... जम्मू कश्मीर में दशकों से होने वाली उथल-पुथल के कारण इस राज्य के विकास को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है.... प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि अब हमें अतीत को भूल जाना चाहिए और ध्यान भविष्य पर होना चाहिए.
अब जनता के बीच शासन के प्रति विश्वास उत्पन्न करना होगा. जनता में यह विश्वास उत्पन्न होनी चाहिए कि हमारी सरकार राज्य में शांति और विकास कायम करने में सक्षम है...... लंबे समय की अव्यवस्था ने उन का विश्वास कहीं ना कहीं तोड़ा है. जिस विकास और समृद्धि के हुए हकदार थे.... उन्हें वह प्राप्त नहीं हो सका है.
प्रधानमंत्री का यह पिक करना है कि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के विचारधारा में कुछ समस्याएं हो सकती हैं लेकिन इसके बावजूद इन
🌹 दोनों दलों ने जम्मू कश्मीर में भारत के लिए एक अच्छे संदेश वाहक का कार्य किया है और भविष्य में भी करते रहेंगे.🌹
केंद्र सरकार ने भी जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के सभी दलों की बैठक के आयोजन में किसी भी तरह का दलगत आधार पर भेदभाव नहीं किया. सभी दलों को समान महत्व देते हुए आमंत्रित किया गया. इस प्रकार केंद्र सरकार के द्वारा इस संदर्भ में जो पहले कुछ कड़े रुख थे उसमें कुछ उदारता लाई गई है.
जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के राजनीतिक दलों और उनके नेताओं ने भी राजनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए इस अवसर का लाभ उठाया है.
महबूबा मुफ्ती ने भले ही कश्मीर समस्या को हल करने के लिए
🌹 पाकिस्तान 🌹
से भी वार्ता करने की सलाह भारत को दे डाली हो.... लेकिन उमर अब्दुल्ला अपने महबूबा मुफ्ती के इस बयान से स्वयं को अलग कर लिया है. संभवत उमर अब्दुल्ला स्वीकार कर चुके हैं कि वर्तमान भाजपा के सरकार में कश्मीर में पुनः 370 को लागू करवाना कोरी कल्पना के अलावा कुछ नहीं है.
✍️ लेकिन अनुच्छेद 370 को खोखला करने के उसके फैसले की राजनीतिक चुनौती फीकी पड़ रही है. राज्य के दर्जे की बहाली को इस रास्ते से इतना नीचे रखा गया है कि निकट भविष्य में विशेष दर्जे पर कोई चर्चा अकल्पनीय है।
यह बैठक कितनी सफल रही या असफल रही
यह अधिक महत्वपूर्ण नहीं है.....सबसे बड़ी बात है कि केंद्र शासित प्रदेश के नेताओं और केंद्र सरकार के बीच वार्ता हुई है.... यह वार्ता भविष्य में जम्मू कश्मीर में परिसीमन......और उसके बाद चुनाव का मार्ग प्रशस्त करेगा.
.. जम्मू कश्मीर में विधानसभा के गठन के बाद जम्मू कश्मीर की सारी नकारात्मक परिस्थितियां स्वतः ही धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे.
श्री मोदी और श्री शाह भी कश्मीर के मामले में पूर्व समय में क्या क्या बयान दिया था? नहीं दिया था? इन बयानों से आशा है कि वे पूरी तरह से बाहर निकलेंगे.... और अब भविष्य की ओर देखेंगे.
🌹 प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न 🌹
1) जम्मू कश्मीर कब एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बदल गया?
2) प्रधानमंत्री के शब्दों में जम्मू-कश्मीर के कौन-कौन से दल भारत के लिए एक संदेश वाहक के रूप में कार्य करते रहे हैं?
3) अमित शाह के द्वारा जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने से पूर्व कौन सी शर्त रखे गए हैं?
4) जम्मू कश्मीर के सभी प्रमुख पार्टियों के द्वारा केंद्र सरकार के समक्ष मुख्य रूप से कौन-कौन सी 2 मांगे रखी गई?
🌹 परीक्षा के लिए प्रश्न 🌹
1) जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख नेताओं के साथ केंद्र सरकार के द्वारा किन परिस्थितियों में बैठक का आयोजन किया गया? इस बैठक से संबंधित संभावनाओं पर समीक्षा करें.
🌹🌹🌹🌹
-------------------------------------------
1.Optimism (N)- आशावाद
2.Statehood (N)- राज्य की स्थिति
3.On The Horizon (Phrase)- निकट भविष्य में
4.Culmination (N)- वर्तमान प्रक्रिया का अंतिम परिणाम
5.Freewheeling (Adj)-
6.Rancour (N)-. विद्वेष
7.Domiciliary (Adj)- मूल निवासियों के संदर्भ में
8.Turmoil (N)- अनिश्चितता और अव्यवस्था
9.Hollow Out (Phrasal Verb)-t
10.Resentment (N)-bitter indignation at having been treated unfairly. नाराज़गी
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🌹 जम्मू कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की नई पहल 🌹
✍️ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर सभी राजनीतिक दलों के सभी प्रमुख नेताओं को प्रधानमंत्री श्री मोदी के द्वारा बैठक हेतु आमंत्रित किया गया था.
✍️ जाता है कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर विशेष राज्य की बहाली के बाद यह पहली बैठक थी.
✍️ लंबे समय तक जम्मू कश्मीर के प्रमुख नेताओं को नजरबंद रखा गया था.
जम्मू कश्मीर मैं जैसी परिस्थितियों वर्तमान में है.... उन परिस्थितियों में निकट भविष्य में... सर्वसहमति से किसी समाधान की उम्मीद नहीं थी.
परंतु इस बैठक के द्वारा एक आशा संचार हुआ है.
✍️ राजनीतिक नेताओं को प्रधानमंत्री के द्वारा बिना किसी शर्त के निमंत्रण दिया गया.... और इस बैठक के द्वारा
" 🌹कुछ दिन पहले ही जो निराशा का वातावरण था उसे आशा के वातावरण में बदल दिया गया.🌹"
✍️ श्री मोदी ने बैठक में कहा
🌹 एक विकसित और प्रगतिशील जम्मू-कश्मीर की दिशा में चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम🌹
बताया।
✍️ जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताते हुए उन्होंने निर्वाचन क्षेत्रों के त्वरित परिसीमन का आह्वान किया, जिसके बाद विधान सभा चुनाव हो सके।
✍️ गृह मंत्री अमित शाह ने जोर देकर कहा कि राज्य में चुने हूए सरकार की बहाली
🌹 परिसीमन 🌹
के बाद ही संभव है.
✍️ यह बैठक शांतिपूर्ण और सद्भावपूर्ण तरीके से संपन्न हुई. लगभग सभी दलों ने
1) राज्य सेवाओं में राज्य के निवासियों के अधिकार को पूर्ववत करने की मांग की और
2) इसके साथ ही भूमि पर राज्य के निवासियों के अधिकार को भी पूर्ववत करने की मांग की.
लेकिन इस मुद्दे पर भाजपा की सख्त स्थिति को देखते हुए, यह बहुत मुश्किल है।.... इसका कारण यह भी है कि देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस तरीके का विशेषाधिकार कहीं नहीं है.
🌹🌹🌹
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार... जम्मू कश्मीर में दशकों से होने वाली उथल-पुथल के कारण इस राज्य के विकास को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है.... प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि अब हमें अतीत को भूल जाना चाहिए और ध्यान भविष्य पर होना चाहिए.
अब जनता के बीच शासन के प्रति विश्वास उत्पन्न करना होगा. जनता में यह विश्वास उत्पन्न होनी चाहिए कि हमारी सरकार राज्य में शांति और विकास कायम करने में सक्षम है...... लंबे समय की अव्यवस्था ने उन का विश्वास कहीं ना कहीं तोड़ा है. जिस विकास और समृद्धि के हुए हकदार थे.... उन्हें वह प्राप्त नहीं हो सका है.
प्रधानमंत्री का यह पिक करना है कि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के विचारधारा में कुछ समस्याएं हो सकती हैं लेकिन इसके बावजूद इन
🌹 दोनों दलों ने जम्मू कश्मीर में भारत के लिए एक अच्छे संदेश वाहक का कार्य किया है और भविष्य में भी करते रहेंगे.🌹
केंद्र सरकार ने भी जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के सभी दलों की बैठक के आयोजन में किसी भी तरह का दलगत आधार पर भेदभाव नहीं किया. सभी दलों को समान महत्व देते हुए आमंत्रित किया गया. इस प्रकार केंद्र सरकार के द्वारा इस संदर्भ में जो पहले कुछ कड़े रुख थे उसमें कुछ उदारता लाई गई है.
जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के राजनीतिक दलों और उनके नेताओं ने भी राजनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए इस अवसर का लाभ उठाया है.
महबूबा मुफ्ती ने भले ही कश्मीर समस्या को हल करने के लिए
🌹 पाकिस्तान 🌹
से भी वार्ता करने की सलाह भारत को दे डाली हो.... लेकिन उमर अब्दुल्ला अपने महबूबा मुफ्ती के इस बयान से स्वयं को अलग कर लिया है. संभवत उमर अब्दुल्ला स्वीकार कर चुके हैं कि वर्तमान भाजपा के सरकार में कश्मीर में पुनः 370 को लागू करवाना कोरी कल्पना के अलावा कुछ नहीं है.
✍️ लेकिन अनुच्छेद 370 को खोखला करने के उसके फैसले की राजनीतिक चुनौती फीकी पड़ रही है. राज्य के दर्जे की बहाली को इस रास्ते से इतना नीचे रखा गया है कि निकट भविष्य में विशेष दर्जे पर कोई चर्चा अकल्पनीय है।
यह बैठक कितनी सफल रही या असफल रही
यह अधिक महत्वपूर्ण नहीं है.....सबसे बड़ी बात है कि केंद्र शासित प्रदेश के नेताओं और केंद्र सरकार के बीच वार्ता हुई है.... यह वार्ता भविष्य में जम्मू कश्मीर में परिसीमन......और उसके बाद चुनाव का मार्ग प्रशस्त करेगा.
.. जम्मू कश्मीर में विधानसभा के गठन के बाद जम्मू कश्मीर की सारी नकारात्मक परिस्थितियां स्वतः ही धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे.
श्री मोदी और श्री शाह भी कश्मीर के मामले में पूर्व समय में क्या क्या बयान दिया था? नहीं दिया था? इन बयानों से आशा है कि वे पूरी तरह से बाहर निकलेंगे.... और अब भविष्य की ओर देखेंगे.
🌹 प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न 🌹
1) जम्मू कश्मीर कब एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बदल गया?
2) प्रधानमंत्री के शब्दों में जम्मू-कश्मीर के कौन-कौन से दल भारत के लिए एक संदेश वाहक के रूप में कार्य करते रहे हैं?
3) अमित शाह के द्वारा जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने से पूर्व कौन सी शर्त रखे गए हैं?
4) जम्मू कश्मीर के सभी प्रमुख पार्टियों के द्वारा केंद्र सरकार के समक्ष मुख्य रूप से कौन-कौन सी 2 मांगे रखी गई?
🌹 परीक्षा के लिए प्रश्न 🌹
1) जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख नेताओं के साथ केंद्र सरकार के द्वारा किन परिस्थितियों में बैठक का आयोजन किया गया? इस बैठक से संबंधित संभावनाओं पर समीक्षा करें.
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1.Optimism (N)- आशावाद
2.Statehood (N)- राज्य की स्थिति
3.On The Horizon (Phrase)- निकट भविष्य में
4.Culmination (N)- वर्तमान प्रक्रिया का अंतिम परिणाम
5.Freewheeling (Adj)-
6.Rancour (N)-. विद्वेष
7.Domiciliary (Adj)- मूल निवासियों के संदर्भ में
8.Turmoil (N)- अनिश्चितता और अव्यवस्था
9.Hollow Out (Phrasal Verb)-t
10.Resentment (N)-bitter indignation at having been treated unfairly. नाराज़गी
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