JPSC MAINS PAPER III PIL PUBLIC INTEREST LITIGATION ( जनहित याचिका JPSC)

🌹RENESHA IAS🌹
 An ARTICLE BY RAVI SIR
 (DIRECTOR RENESHA IAS) 
9661163344...
 IAS JPSC

🇮🇳🇮🇳PIL.. जनहित याचिका🇮🇳🇮🇳
BY RAVI SIR
JPSC MAINS
14th JPSC foundaion batch
9661163344




🌹HISTORY🌹

 सबसे पहले न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर ने 1976 में जनहित याचिका पर विचार व्यक्त किया था. 

       लेकिन

👉🏻 हुसैन आरा खातून बनाम बिहार राज्य 1979 

के मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी एन भगवती की अदालत में 1979 में अधिवक्ता कपिला हिंगोरानी के द्वारा पटना के जेल में बंद 40000 अंडर ट्रायल कैदियों के संदर्भ में याचिका दायर की गई थी. 
            वास्तव में यह कपिला हिंगोरानी का पर्सनल मैटर नहीं था. फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने एक्सेप्ट किया था. इस केस को PIL के रूप में वर्गीकृत किया गया.  
   इस मामले के बाद ही P N भगवती के द्वारा PIL 
(Public Interest Litigation) कांसेप्ट को भारत में लॉन्च किया गया. इस कारण अधिवक्ता Kapila Hingorani को " MOTHER OF PILS" भी कहा जाता है.

 इस प्रकार सामाजिक न्याय जवाबदेही, 

🇮🇳विकास🇮🇳

1) S P GUPTA Vs INDIA UNION 1982 के मामले में न्यायमूर्ति भगवती के द्वारा कहा गया...

" सार्वजनिक कार्य करने वाले सार्वजनिक या सामाजिक कार्य समूह का कोई भी सदस्य सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में क्रमशः अनुच्छेद 32 और 226 के तहत कुछ विशेष स्थितियों में विशेष वर्गों की ओर से याचिका दायर कर सकता है. विशेष वर्ग में को में ऐसे लोग शामिल होंगे जो

👉🏻 सामाजिक 
👉🏻 आर्थिक 
👉🏻 विकलांगता या अन्य विपरीत परिस्थितियों के कारण

 अदालत से न्याय प्राप्त करने में असमर्थ हैं."

 इस व्यवस्था को जनहित याचिका की श्रेणी में रखा गया.

 इस निर्णय के कारण

👉🏻 वंचित वर्गों को न्याय प्राप्त होने के आस जगी 
👉🏻 समाज सेवियों के द्वारा वंचित वर्गों को न्याय दिलाने का एक सशक्त माध्यम मिला 
👉🏻 सार्वजनिक कर्तव्य को लागू करने हेतु PIL एक सशक्त उपकरण बना.
 
2) M C MEHTA VS IU 1985

 गंगाजल के प्रदूषण के खिलाफ जनहित याचिका इसके माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के द्वारा स्वीकृत किया गया. न्यायालय के अनुसार 

"यद्यपि याचिकाकर्ता भले ही गंगा नदी तट का स्वामित्व नहीं रखता हो लेकिन गंगा नदी में प्रदूषण करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मामला है अतः इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया जा सकता है"

🌹 कुछ सफल जनहित याचिका के मामले🌹

 जनहित याचिकाओं में अलग-अलग निर्णय के माध्यम से निम्न मुद्दों को हल करने का प्रयास न्यायालय के द्वारा सफलतापूर्वक किया गया है.

1) बंधुआ मजदूरी
2) बच्चों के कल्याण से संबंधित
3) अस्थाई कर्मचारियों के शोषण और उनके न्यूनतम वेतन से संबंधित
4) महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से संबंधित
5) पर्यावरण का प्रदूषण और पारिस्थितिकी संतुलन से संबंधित मामले
6) मिलावटी अनाज
7) संस्कृति और विरासत के संरक्षण के मामले

 कुछ प्रसिद्ध मामलों की चर्चा भी की जा सकती है जैसे

( निम्न में से कुछ का प्रयोग आप कर सकते हैं अपने उत्तर लिखने के दौरान)

1) 1997 में विशाखा दिशा निर्देश... ( विशाखा गाइडलाइंस)

👉🏻 इसमें यौन उत्पीड़न की परिभाषा और शिकायत दर्ज करने के तरीके की जानकारी दी गई है.

2) M C मेहता बनाम भारत संघ 1987... 

सतत विकास की आवश्यकता पर बल... 

3) हुसैन आरा खातून मामले 1979

  में 40000 विचाराधीन कैदियों को रिहा करने का आदेश.. जिन्होंने संभावित सजा से अधिक सजा काट ली थी 

4) परमानंद कटारा मामला 1989...

 घायल व्यक्तियों को बिना किसी कानूनी औपचारिकता के तुरंत इलाज उपलब्ध कराना 

5) शीला बारसे vs महाराष्ट्र राज्य 1983....

 इस मामले में महिला कैदियों को दुर्व्यवहार और यौन शोषण से बचने के लिए अलग पुलिस सेल में रखने की व्यवस्था की गई 

6) सुमित बत्रा मामला 

👉🏻 विचाराधीन कैदियों को एकांत कारावास में रखने पर प्रतिबंध

10) जनहित याचिका के माध्यम से ही अनुचित तरीके से दिए गए 2G लाइसेंस को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया

11) इंदिरा साहनी मामले 1992

में अदालत ने आरक्षण की सीमा 50% तक निश्चित की और प्रतिनिधित्व मिल जाने के बाद 10 वर्ष में समाप्त करने निर्देश 

12) 2014 के एक मामले में ट्रांसजेंडर को भी सामान मौलिक अधिकार उपलब्ध कराने का निर्देश (सुप्रीम कोर्ट के द्वारा)

13) सोशल मीडिया के पोस्ट के मामले में श्रेया सिंघल को आईटी अधिनियम के धारा 66 ए के गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बताया.

🌹 भारत में कैसे दायर किया जाता है PIL🌹

 संवैधानिक आधार पर देखा जाए तो 

👉🏻 अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में और
👉🏻 अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट में 

PIL दायर किया जाता है.

 उसके अलावा न्यायपालिका के द्वारा स्वतः संज्ञान self cognizance भी लिया जा सकता है 



🌹महत्व🌹

PIL का मुख्य उद्देश्य गरीब और वंचित वर्गों तक न्याय प्रणाली की पहुंच सुनिश्चित करना है.

A) इसके माध्यम से सभी वर्गों को मानवाधिकार और मूल अधिकार प्राप्त हो
B) किसी के साथ किसी भी स्तर पर अन्याय और शोषण ना हो
C) पहले तो द्वारा इसके माध्यम से विभिन्न संस्थाओं जैसे कारागार, पागल खाने / अनाथालय asylums , संरक्षण गृह, महिला गृह इत्यादिकी प्रत्यक्ष निगरानी monitoring कर सकता है. 
D) यह न्यायिक सक्रियता और न्यायिक पुनर्विलोकन का आधार भी बनता है. 
E) आम जनता को न्याय प्रक्रिया में भागीदारी प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है.

🇮🇳criticism🇮🇳

👉🏻 कई बार लोगों के द्वारा केवल लोकप्रियता हासिल करने के लिए याचिकाएं दायर कर दिए जाते हैं
👉🏻 कई बार राजनीतिक एजेंडा को पूरे करने के लिए याचिकाएं दायर किए जाते हैं
     कोर्ट के द्वारा इस तरीके के यचिकाएं को स्वीकृत तो नहीं की जाती है लेकिन अस्वीकृत करने से पहले जो भी प्रक्रिया पूर्ण की जाती है उसमें काफी समय लग जाता है जो न्यायालय के न सिर्फ कीमती समय को नष्ट करते हैं बल्कि न्यायालय पर अतिरिक्त बोझ भी डालते हैं.

🇮🇳suggestion🇮🇳

👉🏻 सुप्रीम कोर्ट के द्वारा PIL संदर्भ में विस्तृत गाइडलाइन जारी किए जाने चाहिए... ताकि गाइडलाइंस से बाहर लॉग PIL नहीं दायर करें
👉🏻 PIL जारी करने वालों को शपथ पत्र लिया जाये कि उनका व्यक्तिगत एजेंडा इसमें नहीं है
👉🏻 PIL का उपयोग व्यापक जनहित के मुद्दे पर जारी रखना चाहिए
👉🏻 PIL के अंतर्गत अगर किसी मुद्दे को शामिल करना संभव भी हो तो इस PIL के कारण जनता के एक बड़ा वर्ग पर नकारात्मक प्रभाव पड़े तो भी स्वीकार नहीं करना चाहिए. कुछ वैकल्पिक उपाय बनाना चाहिए. 

🇮🇳लेटेस्ट🇮🇳

 मद्रास हाई कोर्ट में मदुरई के एक अभ्यर्थी के द्वारा  यूपीएससी प्रारंभिक और  मुख्य परीक्षा का आयोजन आठवी अनुसूची के सभी भाषाओं में करने के डिमांड की गई है. मद्रास हाई कोर्ट के द्वारा इस PIL को स्वीकृत कर लिया गया है.

( कंप्लीट और डिटेल नोट्स क्लास और टेस्ट  के लिए संपर्क करें... 9661163344.. 14th JPSC बैच शुरू हो चुके हैं... मुख्य परीक्षा और प्रारंभिक परीक्षा दोनों के लिए)

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