TAHIR HUSSAIN मामला और सुप्रीम court

ताहिर हुसैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के खंडपीठ के दोनों जजों के निर्णय में मत अंतर,  अब हायर पीठ में मामला जाएगा. 

👉 सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मित्तल ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन कुछ चुनाव प्रचार हेतु जमानत देने से इनकार किया है. 
  इनके अनुसार चुनाव प्रचार किसी का मौलिक अधिकार नहीं है. 
      ताहिर हुसैन फर्स्ट अत्यधिक गंभीर आरोप है ऐसी स्थिति में वह जमानत पर बाहर निकाल कर गवाहों को प्रभावित कर सकता है.
👉 दूसरी और जस्टिस अमानुल्लाह ने स्पष्ट किया की याचिका करता के विरुद्ध आरोप गंभीर हैं लेकिन अभी यह केवल आरोप है सिद्ध नहीं हुए हैं. 
    आरोपी 2020 से हिरासत में है और उसे अधिकांश मामलों में जमानत मिल चुके हैं. इस कारण इसे सशर्त जमानत दिया जा सकता है. चुनाव प्रचार के बाद तुरंत समर्पण करना होगा. 

" पूर्व की घटनायें "

         दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन के द्वारा दिल्ली में चुनाव लड़ने हेतु जमानत की मांग करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है की जेल के अंदर रहकर चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए..
    लेकिन वर्तमान में जो नियम है उसके अनुसार कोई भी व्यक्ति जेल के अंदर रहकर चुनाव लड़ सकता है. 

क्यों? 

👉 न्याय क्षेत्र में यह माना जाता है कि जब तक दोष सिद्ध ना हो तब तक हर व्यक्ति निर्दोष है. 
👉 इसके कारण कई ऐसे व्यक्ति जो गंभीर अपराध के आरोप में भी जेल में बंद होते हैं चुनाव लड़ लेते हैं और जीत भी जाते हैं. ऐसे लोग जाति, पंथ, क्षेत्र अथवा अन्य आधारों पर लोगों को भावनाओं में कैद कर चुनाव जीतने में सफलता प्राप्त कर लेते हैं. 
    पिछले लोकसभा चुनाव में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने पंजाब के खजूर साहिब लोकसभा सीट से और टेरर फंडिंग के आरोप  में तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर राशिद ने जम्मू कश्मीर के बारामूला सीट पर चुनाव जीत लिया था. इतना ही नहीं इंजीनियर रशीद को जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने के लिए जमानत भी दे दी गई थी क्योंकि वह अपने दल का प्रमुख था. 
    जेल में बंद लोगों को जब मतदान करने की अनुमति नहीं होती तो चुनाव लड़ने की अनुमति क्यों दी गई है? ताहिर हुसैन पर सांप्रदायिक दंगा भड़काने का गंभीर आरोप है दल के दोबारा इसे अपना उम्मीदवार बना दिया गया है. 

    सरकार जब तक किस तरीके के कानून में संशोधन नहीं करेगी तब तक न्यायालय भी विवश  है. लेकिन मतदाताओं को भी अपने प्रतिनिधियों के चयन में परिपक्वता का परिचय देना चाहिए. 

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